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तेम भगवान नी पूजादि शुभ कार्यो नुं फल पण अन्य भव मां पोताना समये अवश्य मले छे. माटे विचारशील पुरुषोए फलदायिक पदार्थो मां उतावल न करवी जोइये. मूलम् - पुनर्बुधाऽवस्य हृदि स्वकीये, पूर्वे प्रणीता य इमे पदार्थाः । ते चैहिका ऐहिकदायिनस्तत्,फलन्त्यथाऽत्र वयतोऽग्नतोन॥७॥ गाथार्थ:- वली हे विद्वान्, तुं पोताना हृदय मां विचार के जे पूर्वे कहेला पदार्थो पा लोक ना फल ने देनार होवाथी आ लोक मां फले छे. आगला जन्म मां फल
आपता नथी. विवेचन:-हे विद्वान्, तुं तारा हृदय मां बराबर विचार के जे वस्तु नो जे फल देवानो जे काल होय तेज काले फल आपे छे, बीजा काल मां फल आपता नथी. जेमके दक्षिणावर्त शंख आदि वस्तुप्रो संसार मां तैना आराधक ने आ जन्म मां फल देवाना स्वभाव वाली होवाथी प्रा जन्म मांज फल आपे छे, परलोक मां फल आपती नथी. मूलम्मनुष्यसम्बन्धिभवस्य तुच्छ-कालीनभावादिति तुच्छमेभ्यः । प्राप्यं फलं तेन मनुष्यजन्म-न्यवाऽत्र मेभ्योऽस्ति फलं परत्रा।