________________
( २७६)
अहियां रहेला मनुष्यो द्वारा दूर रहेली लंका जोई शकाय तेवी नथी, तेवीज रीते केवल ज्ञान रहित एवा छद्मस्थ आत्मानो द्वारा पण स्वर्ग अने मोक्ष आदि पदार्थो जोई शकाय तेवा नथी. माटे परोक्ष वस्तुप्रो बीजाना कथन थी जाणी शकाय तेवी होवाथी परोक्ष वस्तुप्रो पण मान्य करवी जोइये.
॥ अथ षोडशोधिकारः ॥ स्वर्ग अने मोक्ष नां साधनो ने यथाशक्ति सिद्ध गुण नी
सेवा बड़े सिद्ध थवायं
अथाऽऽस्तिकं नास्तिक आह शस्तधी
रस्त्वस्त्विदं स्वर्गपदादि निश्चितम् । परं किलतस्य यदस्ति साधनं,
___ तद् ब्रूहि मे साम्प्रतमादरेण ।। गाथार्थ:-हवे निर्मल बुद्धि वालो नास्तिक आस्तिक ने कहे छे के आ स्वर्गपदादि निश्चित भले होय परन्तु एवं साधन मने आदर पूर्वक कहो. विवेचन:-पूर्वे कहेल दृष्टांतो सांभलवाथी परोक्ष एवा स्वर्गादि प्रत्ये निर्मल बुद्धि थये छते नास्तिक हवे आस्तिक ने कहे छे के भले स्वर्ग अने मोक्ष विगेरे निश्चित होय