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अने अवियतज़ांभक ए दश तिर्यंचजांभक देवो ना भेदो छे. आठ ब्यंतर, आठ वाण व्यंतर अने दश तिर्यंचजांभक देवो पण व्यंतर मां गणेल होवाथी सर्व मली २६ भेदो व्यंतर देवो ना थाय छे.
सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र अने तारा ए पांचे चर, अने स्थिर गणतां ज्योतिषी ना १० भेदो थाय छे.
सुधर्मा, ईशान, सनतकुमार, माहेन्द्र ब्रह्मलोक, लांतर्क, महाशुक्र, सहस्रार, आनत, प्राणत, आरण अने अच्युत ए बार देव लोक ना १२ भेदो थाय छे. पहेला. बीजा अने पांचमा छट्ठा नी नीचे त्रण किल्बीषिकना त्रण भेदो गणवा, सारस्वत, आदित्य, वाहित, अरुण, गर्दतोय, तृषित, अव्याबाध, मरुत, अने अरिष्ट ए नव भेदो लोकांतिक ना जाणवा.
सुदर्शन. सुप्रतिबद्ध. मनोरम. सर्वतोभद्रः सुविशाल, सुमनस, सौमनस, प्रियंकर अने नंदिकर ए नव भेदो नव अवेयक ना जाणवा.
विजय, विजयंत, जयंत, अपराजित अने सर्वार्थं सिद्ध ए पांच भेदो अनुत्तर विमानो ना जाणवा.
बार देवलोकना १२, किल्बीषिकना ३, नव लोकां तिकना ६, नव वेयकना ६, अने पांच अनुत्तर ना मली ३८ भेदो वैमानिक देवो ना जावा.