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(११) आत्मानो गृहस्थ ना वेष मां मोक्षे जाय ते गृह लिङ्ग सिद्ध. (६) जे आत्मायो अन्य लिङ्ग ना वेषे मुक्ति जाय छे ते अन्य लिङ्ग सिद्ध(७)जे आत्मायो साधु लिङ्गे मोक्षे जाय ते स्वलिङ्ग सिद्ध (८) जे आत्मायो स्त्री लिङ्ग मोक्षे जाय ते स्त्रिलिङ्ग सिद्ध (६) जे आत्मानो पुरुष लिङ्ग मोक्षे जाय ते पुरुष लिङ्ग सिद्ध.(१०)जे आत्मानो नपुंसक लिङ्ग सिद्धथाय ते नपुसक लिड्ग सिद्ध (११)जे आत्मानो कोई पण निमित्त पामी ने वैराग्य पामे ते प्रत्येक बुद्ध सिद्ध.(१२)जे प्रात्मायो पोतानी मेले बोध पामे ते स्वयं बुद्ध.(१३)जे प्रात्माप्रो बीजा ना उपदेश थी बोध पामे ते बुद्ध बोधित सिद्ध. (१४) एक समय मां एक मोक्षे जाय ते एक सिद्ध.(१५)एक समय मां अनेक आत्मायो मोक्षे जाय ते अनेक सिद्ध. एम सिद्ध ना पंदर भेदो जाणवा.
जीव ना चौद भेदो:१ अपर्याप्त सूक्ष्म एकेन्द्रिय, २ पर्याप्त सूक्ष्म एकेन्द्रिय, ३ अपर्याप्त बादर एकेन्द्रिय, ४ पर्याप्त बादर एकेन्द्रिय, ५ अपर्याप्त बे इन्द्रिय, ६ पर्याप्त बेइन्द्रिय, ७ अपर्याप्त तेइन्दिय, ८ पर्याप्त तेइन्द्रिय, ६ अपर्याप्त चउरिन्द्विय, १० पर्याप्त चउरिन्द्रय, ११ अपर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय, १२ पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय, १३ अपर्याप्त संज्ञीपंचेन्द्रिय, १४ पर्याप्त संज्ञीय पंचेन्द्रिय. एम जीवना चौद भेदो बाणवा.