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________________ (४५) थाय छे ते आपणे जोई गया. नीचेना दृष्टांतो श्रीउत्तराध्ययन विगेरे मूळ सूत्रोमां आवेला छे. तेमां मनुष्यभव हारी गया पछी केवो पश्चात्तापथाय छे अने ते भव फरी मेळववो केटलो मुश्केल छे ते बताव्युं छे. आ दृष्टांतो खास मनन करवा योग्य छे. टीकाकार कहे छे के " प्रमादना परवशपणाथी आ जीव सुकृत करतो नथी. तेथी मनुष्यभवथी भ्रष्ट थाव छे. अने दुर्गातिमां जाय छे. दुर्गतिमां गया पछी अत्र निर्दिष्ट स्वरूप प्रमाणे त्यां पश्चाताप करे छे. हे जीव ! तुं तो अत्र सुकृतो कर के जेथी तारे परभवमा लीलालहेर थाय " टीका अने टबानुसार सपूर्ण विवेचन साथे हवे दृष्टांतो आपीए छीए ते ध्यानथी वांचो, नीचेनां सर्व उदाहरणो मनुष्य जन्मनी सार्थकता अने तेनो लाभ न लेवाथी निरर्थकता थती तरफ उपनय बतावनारा छे, ते खास ध्यानमा राखQ. वारंवार तेनुं पुनरावर्तन उपनयमां कयु नथी. ॥ दृष्टांत पहेल-अज (बोकडा ) मुं॥ एक विशाळ नगर हतुं. ते नगरमां एक पुरवासीने घेर एक बोकडों हतो. कोई सारो परोणो घेर आवशे त्यारे तेनुं मांस काम आवशे एम धारीने ते बोकडानुं बहु सारी रीते पोषण करवामां आवतुं हतुं. तेने दररोज सारी रीते नवराववामां आवतो हतो. तेना शरीस्पर पीळा तिलक करवामां आवतां हां, तेनी लालना पालना सारी रीते थती हती. अनेतेथी ते सर्व प्रकारे सुखी लागतो, अने पुष्ट शरीरवाळो मातेलो थयो हतो. तेज पुरवासीनां घरमां एक बीजो वाछरडो हतो. तेने बापडाने तेनी मा गायने दोही रह्या पछी बाकीनु अवशेष दूध मळे ते धावq पडतुं हतुं अने तेनी कोई संभाळ राखतुं नहि. वाछडाए बोकडानी सारी स्थिति जोई एक दिवस तो क्रोध अने ईर्ष्याथी दूध पीवानी ना पाडी. तेनी मा गाये तेने स्नेहथी तेनुं कारण पूछयुं त्यारे वाछडो कहे छे के 'अरे मा ! आ बोकडाने तो पुत्रनी जेम मिष्टान्न मळे छे अने मने मंदभाग्यने तो पुरूं घास पण मळतुं नथी, अने वखतसर पाणी पण मळतुं नथी. अरेरे! हुं तो पूरपूरो कमनशीब छु. गाये कह्यु 'वत्स! जेम कोइy मरण नजीक आव्युं. होय अने वैद्ये आशा मूकी दीधी होय त्यारे तेने पथ्य अपथ्यनो विचार कर्या वगर जे खावा मागे ते आपवामां आवे छे तेवी रीते आ बोकडो पण वध्य छे.
SR No.022143
Book TitleUpdesh Ratnamala Tatha Prakirna Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmajineshwarsuri, Munisundarsuri, Manilal Nathubhai Doshi
PublisherSuriramchandra Diksha Shatabdi Samiti
Publication Year1935
Total Pages80
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size12 MB
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