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________________ ( ३६ ) अर्थः- प्रथम लघु नानुं काम आरंभ करखुं, पछीथी मोटुं कार्य करवुं, पण उत्कृर्ष न करवो; आ रीते करवाथी खरी महत्ता प्राप्त थाय छे. ॥ २३ ॥ भावार्थ:- व्यवहार कुशलता तथा मनुष्य स्वभावनुं उडुं ज्ञान धरावनार आ श्लोकना लेखक जणावे छे के मनुष्ये प्रथम नाना कामथी शरुआत करवी. मनुष्य पोतानो आदर्श उचो राखे, पण शरुआत नीचला पगथी आथी करवी. जे मनुष्य एकदम मोटुं काम उपाडे छे, ते घणीवार निष्फळ जाय छे, त्यारे निराशा प्रकटे छे, अने पछी तेनामां नानुं सरखुं पण काम करवानी हिम्मत जती रहे छे. दुधनो दाझेलो छारा पण फुंकीने पीए, एव तेनी स्थिति थाय छे. माटे अहीं कहेवामां आव्युं छे के नाना कामथी शरुआत करो. ज्यारे मनुष्य कोई पण नानुं काम सफळताथी करी शके छे, त्यारे तेने पोतानी शक्तिमां विश्वास आवे छे, तेनामां स्फुर्ति आवे छे, अने तेनाथी जरा मोटुं काम करवाने योग्य थतो जाय छे. आ रीते छेवटे मोटा मोटा कार्यों करवाने ते लायक बने छे. धर्म मार्गमां पण पगथिए पगथिए चडनारने पाछा पडवानो भय रहेतो नथी. प्रथम जीव मार्गानुसारी बने छे; मार्गानुसारीने लगता ३५ गुणो प्राप्त क पछी ते श्रावक पदने लायक थाय छे. श्रावकना २१ गुण प्राप्त कर्या पछी ते व्रतधारी श्रावक थई पांच अणुव्रत तथा बीजा सात व्रतो धारण करें छे, ते पछी ते दीक्षाने वास्ते तैयारी करे छे, अने दीक्षामां पण विविध पगथियां चढी अनुक्रमे पंन्यास, उपाध्याय, आचार्य वगैरे थाय छे कोई पराक्रमी जीव होय ते केटलांक पगथियां थोडा समयमां ओळंगी जाय, वळी सामान्य क्रम प्रमाणे मनुष्य उत्तरोत्तर आगळ वधे तो ते गबडी पडतो नथी, अने धीमे धीमे उंचे उंचे चढी शके छे. बीजी बाबत आ श्लोकमां ए जणाववामां आवी छे के मनुष्ये उत्कर्ष न करवो, तेनो अर्थ ए थाय छे के पोते करेलां कार्यों अथवा मेळवेल ज्ञान के संपत्तिनी ज्यां त्यां प्रशंसा स्वमुखेन कर्या करवी; कारण के ज्यारे मनुष्य तेवी प्रशंसा करवा लागे छे, त्वारे पछी ते आगळ वधी शकतो नथी. ते हवे भूतकाळमां रम्यां करे छे. वर्तमानमां एवां कार्यो करतो नथी के जेथी भविष्यमा तेने आनंद थाय. माटे पातानी बढाई नहि गातां शुभ मार्गमां
SR No.022143
Book TitleUpdesh Ratnamala Tatha Prakirna Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmajineshwarsuri, Munisundarsuri, Manilal Nathubhai Doshi
PublisherSuriramchandra Diksha Shatabdi Samiti
Publication Year1935
Total Pages80
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size12 MB
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