________________
DOOOOOOOOOOOOOOOOOOO
॥ ॐ अहँ नमः ॥ ॥ शासनसम्राट् श्री विजय नेमिसूरीश्वर सद्गुरुभ्यो नम : ॥
सर्वतंत्र स्वतंत्र सूरिचक्र चक्रवर्ति-शासनसम्राड्भट्टारकाचार्य
महाराजश्री विजयनेमिसूरीश्वरजी महाराजश्रीना पट्टालंकार-कविरत्न-शास्त्रविशारद पूज्यपाद-आचार्य
महाराजश्री विजयामृतसूरीश्वरजी महाराज विरचित तथा आचार्य श्री धर्मधुरन्धर सूरिकृत
विवरण युक्त
श्री वैराग्य शतक) . (संक्षिप्त विवेचन साथे)
(पूर्वे-स्तुतिचतुर्विंशतिका तथा पाछळ आत्मनिन्दाद्वात्रिंशिकाना अनुवाद सहित)
: संपादक :
.
.
पं. कुन्दकुन्दविजयजी गणि
OOOOOOOOOOOOOOOOOO