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________________ पूज्य आचार्य श्री विजय देव सूरीश्वरजी म. चरणरेणु विजय हेमचन्द्रसूरिजी मु. पुनाली. भवनिस्तारनो प्रबल उपायएक मात्र वैराग्य त्याग अने वैराग्य विना जगतमां कोई पण आत्मानो भवनिस्तार थतो नथी. आ बाबतमां दरेक धर्मशास्त्रकारोनो एकमत प्रवर्ते छे. त्यांगने जो आपणे कार्य तरीके मानतां होईये तो वैराग्यने एना कारण तरीके अवश्य स्वीकारखुं जोईए. त्याग जो ईमारत छे तो वैराग्य एनो पायो छे. वैराग्य वगरनो त्याग अर्थसाधक बनवाने बदले केटलीकवार अनर्थकारी पण बनी जाय छे एटले त्यागने दृढ बनाववानी भावनावाळाए पहेलां वैराग्यने स्थिर करवो . जोईए. 'त्याग न टके वैराग्य दिना' ए उक्ति पण आज वातनी पुष्टि करे छे. पूर्वधर भगवान श्री उमास्वातिजी महाराजे पण 'प्रशमरति' जेवा नाना पण आत्मार्थी जीवोने माटे महान उपकारक ग्रंथमां नीचेना श्लोकमां - वैराग्य भावनाने स्थिर करवा माटे मन / वचन अने कायाथी अभ्यास करवानुं भारपूर्वक सूचन कर्तुं छे.
SR No.022142
Book TitleVairagya Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmrutsuri, Dhurandharvijay, Kundakundvijay Gani
PublisherDhurandharsuri Samadhi Mandir
Publication Year1959
Total Pages172
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size13 MB
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