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श्री वैराग्य शतक श्रद्धासागर वृद्धिचंद्र सरखी, संताप संहारिणी, हेनो आ अनुवाद में स्वपरना कल्याण माटे कर्यो, श्रीमन्नेमिसूरीश सेवनबळे, जे भक्तिभावे भर्यो.
इतिश्री परमार्हत जीवदया प्रतिपाल कुमारपालभूपाल विरचितात्मनिन्दा द्वात्रिंशिकाया गूर्जर गिरायां पद्यानुवादः समाप्तः
ॐ नम श्रीपार्श्वनाथाय ॐ नमः श्रीगुरुनेमिसूरये दृष्टान्तावली.
(दुहा) सुरनरसेवित जिनपति, श्री सेरीसापास, प्रगट प्रभावी प्रणमतां, पूरे मननी आश आ काळे आ भरतमां, युग प्रधान समान, गुरुवर नेमिसूरीशनुं, धरीने हृदये ध्यान. रचशुं दृष्टान्तावली, सज्जन मुख शणगार, जे भणतां सुख उपजे सूक्त रत्नावलीसार. चन्द्र विनानी ज्युं निशा, सुस्वर विण ज्युं गान, वाणी विणदृष्टान्त युं, नव पामे सन्मान.
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