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भीम की कथा
वह वहीं रहा। अब वह कुमार अपनी प्रथम की स्त्रीयों को देखने के लिये एक दिन सुलोचना को साथ ले इसी नगर में पुनः अपने महल के उद्यान में आ पहुँचा, तब सुलोचना पूछने लगी कि वह कुमार कहां गया है, सो कह । तब वामन हँसता हुआ बोला कि तुम जैसी बेकार हो वैसा मैं नहीं, यह कहकर वहां से उठ निकला । ____ अपना २ चरित्र सुनने से साथ ही अपने २ अनुकूल अंगस्फुरण पर से उन युवतियों ने तर्क किया कि-यह वामन अन्य कोई नहीं परन्तु रूप परिवर्तित किया हुआ हमारा पति ही होना चाहिये। __ अब एक समय राजमार्ग में चलते हुए वह वामन किसी घर में करुण स्वर से रुदन होता सुन कर किसी से पूछने लगा कियहां रुदन किसलिये किया जा रहा है। वह बोला कि तिलकमंत्री की सरस्वती नामक पुत्री घर पर खेल रही थी इतने में उसे काले सांप ने डस लिया है। इससे उसकी विषवैद्यों ने (भी) छोड़ दिया है। इसलिये उसके मां बाप तथा स्वजन आशा छूट जाने से उन्मुक्त कंठ से यहां बहुत रुदन कर रहे हैं । यह सुन वामन कहने लगा कि-हे भद्र ! चलो, अपन मंत्री के घर में चले, (कि जिससे) उक्त बाला को मैं देखू, और बने वहां तक मैं भी कुछ उद्यम-उपाय कर। यह कहने के बाद उसके साथ वामन मंत्री के घर में पहुँचा,
और प्रौढ़ मंत्र के प्रभाव से शीघ्र ही उक्त बाला को सचेत करने लगा। तब मंत्री ने प्रार्थना करी कि - जैसे तुझने अपना विज्ञान बताया वैसा ही तेरा वास्तविक रूप भी प्रगट कर । जिससे उसने क्षणभर में नट के समान अपना मूलरूप प्रगट किया। उसका श्रेष्ठ रूप देखकर तिलकमंत्री अत्यन्त विस्मित होगया, इतने ही में चारण लोगों ने स्पष्टतः निम्नाङ्कित जयघोष किया।
मणिरथ राजा के कुल में चन्द्रमा समान, महादेव, हीरे के हार और श्वेत हथिनी के समान उज्जवल यशवाले, त्रैलोक्य में