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इकवीस गुण
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सुपक्ष युक्त याने कि सुशील और विनीत परिवार वाला हो. १४
सुदीर्घदर्शी याने भलीभांति विचार कर जिसका परिणाम उत्तम हो ऐसे कार्य का करने वाला हो. १५
विशेषज्ञ याने कि अपक्षपाती होकर गुण दोष की विशेषता को जानने वाला हो. १६ __वृद्वानुग याने वृद्वों का अनुसरण करने वाला. अर्थात् पक्की बुद्धि वाले पुरुषों की सेवा करने वाला हो. १७
विनीत याने कि अधिक गुण वालों को मान देने वाला हो. १८ कृतज्ञ याने दूसरे के किये हुए उपकार को न भूल ने वाला हो. १९
परहितार्थकारी याने निःस्वार्थता से पर कार्य करने वाला होप्रथम सुदाक्षिण्य ऐसा विशेषण दिया है, उसमें और इस विशेषण में इतना अन्तर जानना कि-सुदाक्षिण्य याने दुसरा याचना करे तब उसका काम कर दे और यह तो स्वतः पर हित करता है. २०
'तहचेव' इस शब्द में तथा शब्द प्रकार के लिये है, चः समुच्चय के लिये है और एव शब्द अवधारण के लिये है, जिससे इसका अर्थ यह है कि-जैसे ये बीस गुण कहे हैं उसी प्रकार लब्धलक्ष्य भी होना चाहिये और जो ऐसा हो वह धर्म का अधिकारी होता है ऐसा पद योग करना.
लब्धलक्ष्य इस पद का अर्थ इस प्रकार है कि लब्ध कहते लगभग पाया है लक्ष्य याने पहिचानने लायक धर्मानुष्ठान का व्यवहार जिसने वह लब्धलक्ष्य अर्थात्समझदार होने से जिसे सुख से सिखाया जा सके वैसा हो, २१ ___ इस प्रकार इकवीस गुणों से जो सम्पन्नहो वह धर्मरत्न के योग्य होता है ऐसा (पहिले) जोड़ा ही है. इस प्रकार तीन द्वार गाथाओं का अर्थ हुआ।