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कृतज्ञता गुण पर
मुझे कहा कि यह बालक थोड़े समय में विद्याधरों का चक्रवर्ती होगा।
यह सुन कर विमल कुमार को उसका मित्र कहने लगा कितेरा वचन मिलता आ रहा है। तब विमल बोला कि-यह कुछ मेरा वचन नहीं, किन्तु आगमभाषित है।
पुनः रत्नचुड़ बोला कि- मेरे मामा ने प्रसन्न होकर इस चूतमंजरी को मुझे दिया, जिससे मैंने इससे विवाह किया है। तब अचल व चपल क्रोधातुर होकर मेरा कुछ भी पराभव न कर सकने के कारण भूत के समान छिद्र देखते हुए दिवस बिताने लगे । उनके छलभेद जानने के लिये मैं ने एक स्पष्टवक्ता गुप्तचर की योजना कर रखी थी। वह अचानक एक दिन आकर मुझे कहने लगा कि
हे देव ! उनको काली विद्या सिद्ध हुई है. और उन्होंने यह गुप्त सलाह की है कि-एक ने तो आपके साथ लड़ना और दूसरे ने आपकी स्त्री को हर ले जाना। तब मैं विचारने लगा कि भाइयों के साथ कौन लड़े। यह निश्चय कर मैं उनको निग्रह करने को समर्थ होते भी इस लतागृह में छिप रहा। उन दोनों को मैं ने जीत लिया है तथापि भाई समझ कर मारे नहीं। इसके अतिरिक्त प्रायः सभी तुम्हें ज्ञात ही है।
इसलिये इस मेरी स्त्री की रक्षा करके तूने मेरे जीवन की रक्षा की है । अथवा तूने सारी पृथ्वी को धारण कर रखा है कि-जिसकी उपकार करने में ऐसी तीव्र उत्कंठा है। __कहा भी है कि, यह पृथ्वी दो पुरुषों को धारण करे अथवा दो पुरुषों ने पृथ्वी को धारण की है। एक तो जिसकी उपकार