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**** आगमोद्धारक-ग्रन्थमालायाः त्रिंश रत्नम्
**** kkkkkkkkkkkkkkkkkkL ★★ णमोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स ।।
पू. आगमोद्धारक-आचार्यप्रवर-आनन्दसागरसूरीश्वरेभ्यो नमः।
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श्रीमान् शान्तिसूरि विरचितधर्मरत्न प्रकरण ।
पहिला भाग
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KLEkkkkkkkkkkkkkkxxikkkkkkk★★★★★★
(हिन्दी अनुवाद)
XIX***********
संशोधक५० पू० गच्छाधिपति-आचार्य-श्रीमन्माणिक्यसागरसूरीश्वर
शिष्य शतावधानी-मुनि लाभसागर
वि. सं. २०२२
आगमोद्धारक सं. १६
४ वीर सं. २४९२
प्रतयः ५००]
[ मूल्यम् २=५०
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