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तववा लाग्यो के एक तो दीकरी बे ते स्वनावें चिंतानुंज कारण बे अने वली एतो कर्मै कलंकितने विवाहयोग्य पण थइ बे. हवे श्यो उपाय करवो? एम विचारी नगरमां पडद वजडाव्यो के जे राजानी दीकरीनी यांखो सारी करे, तेने राजा श्रधुं राज्य तथा तेहीज कन्या थापे. एवी रीतें राजपुरुषो तिहां चहुटे चहुटे ढंढेरो फेरवे a. ए कौतुक में दीव्रं. दवे श्रगल शुं थाशे? ते हुं जाणतो नथी.
एवं सांजली वली एक न्हानो नारंग बोल्यो के हे तात! तमें जाणता हो तो कहो, के नेत्र सारां थवानो कोइ उपाय . ते सांजली वृद्ध जारंग बोब्यो के हे वत्स ! उपाय तो घणाय बे पण जाग्य विना मले नही. तेवारें लघुजारंग बोल्यो के तमें जाणता हो तो कहो. तेवारे वृद्ध नारंग बोल्यो के हे वत्स ! रात्रियें कदेवाय नहीं ॥ यतः ॥ दिवा निरीक्ष्य वक्तव्यं, रात्रौ नैवच नैवच ॥ संचरंति महाधूर्त्ता, वटे वररुचिर्यथा ॥ १ ॥ वली लघुनारंम बोल्यो के इहां तो कोइ सांजलतो नथी माटें तमें कहो. तेवारें वृद्ध बोल्यो जे ए वृक्षने जे वेल