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________________ (१२) चार कह्या. राणी पण दासीने का के तमें तरत जश्ने ते सूडो लश्श्रावो. दासीयें थावी मूल्य पापी सूडो लीधो. वधक, पैसा लश् पोताने घेर गयो. दासी सूडाने राणी पासें लश् आवी राणी ते सूडाने देखी अत्यंत हर्ष पामी सुवर्णना पांजरामां तेने राख्यो. राणी पोताने हायेस्नान जोजनादिक कराववा लागी. हवे प्रस्तावें सूडो सहसात्कारें अनेक अनेक प्रश्नोत्तरादिक श्लोक नणे. ते जेम के ॥ श्रयुक्तः प्राणदोलोके, वियुक्तः साधुववनः ॥ प्रयुक्तः सहि विद्वेषी, केवलः स्त्रीषु ववनः॥१॥ तस्योत्तरं ॥ हार ॥ जावार्थः-थाकार अदरें युक्त होय तो जे पदनो अर्थ लोकने विषे प्राणनो देनारो एवो थाय. तथा वि श्रदरें जो युक्त होय तो जे पदनो अर्थ साधुने वन एवो थाय . प्र श्रदरें करि युक्त जो होय तो जे पदनो अर्थ विशेषी थाय ने, अने जो केवल एकबुंज पद राखीयें तो तेनो अर्थ स्त्रीने वजन एम थाय ॥ तेनो उत्तर (हार )हवे हारनी पहेलां था मेलवीयें तो श्राहार थाय बे, तो तेथी जगत जीवे ने अने हारथी प्रथम वि मेलवीयें तो विहार थाय ने तो विहार साधुनेज घटे
SR No.022132
Book TitleSindur Prakar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages390
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
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