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________________ जैन सिद्धांत प्रकरण संग्रह. रहे तेवारे जुगल परभवनुं आउखु बांधे. तेवारे जूगलिणी एक जोडलं प्रसवे. छोरुनी प्रतिपालण ६४ दिन करे. जुगल जुगलीणीने क्षण मात्रनो विजोग न पडे. एकने छीक ने एकने बगासू आवे. मरिने देवता थाय. एना शरीरनु निहरण देवता करे. गति १ देवतानि जाणवि इति बिजो आरो संपूर्ण. ___ हवे बीजो आरो उतरीने त्रिजोआरो बेठो तिवारेअनंता वर्ण,गंध, रस,स्पर्सना पर्यव अनंता हीणा थया. ए आरो बेक्रोडाक्रोडसागरोपमनो जाणवो.ए आरो मूखम दुखम नामा जाणवो.सुख घणुं ने दुख थोडं जाणवू.ए आरने विषे एक गाउनु देहमान ने एकपल्योपमनुं आउखुं जाणवू. उतरते आरे पांचसे धनुष्य- देहमान ने क्रोडपूर्वनुं आउखु जाणवू. एआराने विषेवऋषभनाराच संघयण ने समचउरंस संठाण जाणवु. ए आरा विषे चोसठ पांसली जाणवी. उत्तरते आरे बत्रिस पांसली जाणवि ए आराने विषे चौथ भक्त आहारनी इच्छा उपजे. तिवाये शरीर प्रमाणे आहार करे. धरतिनि सरसाइ गोल सरखि जाणवि. उतरते आरे थोडेरी जाणवि. ए आरे दस प्रकारना कल्पवृक्ष मनबंछीत सूख पहचाडे. अने छेवटे जूगलना आउखा आडा छ मास रहे. तेवारे जूगल परभवर्नु आउखु बांधे. तेवारे जूगलिणी एक जोडलं प्रसवे. ते छोरुनी प्रतिपालणा ७९ दिन करे. जूगल जूगलिणीने क्षणमात्रनो विजोग न पडे. एकने छीक ने एकने बगासू आवे तेवारे मरीने देवता थाय. एहना शरीरना निहरण देवता करे.ए ३ आरा जूगलना जाणवा. एकलो जूगल धर्म जाणवो. ए आराने विषे जरा, रोग, कुरुप नहि प्रतिपूर्ण अंग उपांग विषय सुख भोगवे ते दान पुन्यना फल जाणवा. ए आराने विषे छेवटे चारासि लाख पूर्व त्रण वर्ष ने साडा आठ महीना बाकी रह्या.
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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