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________________ जैन सिद्धांत प्रकरण संग्रह. ७५ ६. केवलज्ञानामां जीवना भेद १ संज्ञीना प्रजाप्तो. गुण० २ तेरमुं ने १४ मुं. जोग ७. उपयोग २. लेशा १ परम शुकल. ७. अज्ञानीमां जीवना भेद १४. गुण २ पहेलुं ने त्रिजुं. जोग १३ आहारकना २ वर्जिने. उप० ६, ३ अज्ञान, ३ दर्शन. लेशा ६. ९. मतिश्रुत अज्ञानीमां जीवना भेद १४. गुण० २ पहेलुं ने त्रिजुं. जोग १३. उपयोग ६. लेशा ६. १०. विभंग अज्ञानीमां जावना भेद २ संज्ञीना. गुण २ पहेलुं ने त्रिजुं. जोग १३. उप० ६. लेजा० ६. एहना अल्पबहुत्व सर्वथि थोडा मनपर्यवज्ञानी, तेहथि अवधिज्ञानी असंख्यात गुणा, तेह थि मतिज्ञानी ने श्रुतज्ञानी माहेोमांहि तुल्य ने विशेषाहिया तेहथि विभंग अज्ञानी असंख्यात गुणा, तेहथि केवलज्ञानी अनंतागुणा, तेहथि ज्ञानी विशेषाहिया, तेहथि मति श्रुतअज्ञानी माहामांहितुल्यने अनंतगुणा, तेहथि अज्ञानी विशेषाहिया. इति १० मे द्वार समाप्तं. १. चक्षुदर्शनमां जीवना भेद ६. चउरिंद्रिय, असंज्ञि पंचेद्रिय, संज्ञी पंचेद्रिय, ए ३ ना अप्रजाप्ता ने प्रजाप्ता गुण० १२ प्रथमना जोग १४ कार्मणनेोवर्जिने. उप० १० केवलना २ वर्ज्या लेशा ६. २. अचक्षुदर्शनमां जीवना भेद १४. गुण० १२. जोग १५. उप० १०. लेशा ६. ३. अवधिदर्शनमां जीवना भेद २. गुण० १२. जे ग १५. उप० १०. लेशा ६. ४. केवलदर्शनमां जीवनेो भेद १. गुण० २. तेरसुं, चौदमुं. जेाग ७. उप० २. लेशा १. एहना अल्पबहुत्व सर्वथि थोडा अवधि दर्शनी, तेहथि चक्षुदर्शनी असंख्यातगुणा, तेहथि केवलदर्शनी अनंतगुणा. तेहथी अचक्षु दर्शनी अनंतगुणा. इति ११ मो द्वार समाप्तं.
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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