SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन सिद्धांत प्रकरण संग्रह. २५ असंख्याता - असंख्याता वास छे. तेसर्ववर्णव अन्य सिद्धांतादिकथिजाणवो. हवे सिद्धसिलाना बार नाम कहे छे. इसितिवा, इसिपमारातिवा, तणुतिवा, तणुतणुतिवा, सिधितिवा, सिद्धालएतिवा मुतितिवा, मुत्तालएतिवा, लोयगेतिवा, लोगथुभियातिवा, लोगपडिबोहेतिवा, सवपाणभुयजीवसत्तसुहावहेतिवा, ए बार मोक्षना नाम कह्या. ए नामदुवार किंचित्मात्र संपूर्ण. हवे चोविस दुवार ते चोविस दंडक उपरे उतारवा ते कहे छे. पेहलो नारकीनो दंडक, ते माहे सरीर त्रण. वैक्रेय, तेजस, कार्मण. अवघेणा भवधारणि सरीरनी ज० अंगु० असं०. उ० पांचसे धनुषनी अने उत्तरवैक्रेय सरीरनी ज० अंगु० संख्या० उ० हजार धनुषनी. पेहेली नरके भवधारणी ज० अंगु० असं०. उ० पोणाआठधनुष ने छ आंगुलनी. अने उत्तरचक्रेय करे तो ज० अंगु० संख्या०. उ० साढापनर धनुष ने बार आंगुलनी बीजी नरके ज० अंगु० असं० उ० साढा पनर धनुष ने बार आंगुलनी अने उत्तरवैक्रेय करे तो ज० अंगु० संख्या० उ० सवाएकत्रिस धनुषनी. त्रीजि नरकेज० अंगु० असं० उ० सवाएकत्रिस धनुषनी अने उत्तरवैक्रेय करे तो ज० अंगु० संख्या० उ० साडाबासठ धनुषनी. चाथी नरके ज० अंगु० असं० उ० साडाबासठ धनुषनी अने उतरवैक्रेय करे तो ज० अंगु० संख्या० उ० सवासोधनुषनी. पांचमी नरके ज० अंगु० असं० उ० सवासो धनुषनी अने उत्तर वैक्रेय करे तो ज० अंगु० संख्या० उ० अढीसे धनुषनी. छठि नरकेज० अंगु० असं० उ० अढीसे धनुषनी. अने उत्तरवैक्रेय करे तो ज० अंगु० संख्या० उ० पांचसें धनुषनी सातमी नरके ज० अंगु० असं उ० पाचसें धनुषनी
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy