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________________ २०० षट् द्रव्यना बोल. बिजा ५ ना अछता द्रव्य नथी. एम छ ए द्रव्यमां पोतपोताना ४ बोल छे. नथी. एम स्वभाव ए सत् पक्ष कह्यो अने असत् ते क्षेत्र काळ भाव पर द्रव्यना अछता रूपे तो असत् छे. जेम धर्म० द्रव्य अधर्मादि ५ पर द्रव्यना द्रव्य क्षेत्र काळ भावे असत के० अछतो छे. एम छ ए द्रव्यमां जाणवु छ द्रव्यमां वक्तव्य ते वचनथी कहेवा योग्य एहवा अनंता स्वभाव एक एक द्रव्यमां छे, अने अवक्तव्य के० वचनथी कहेवाय नहि केवळज्ञाने जणाय एहवा अनंता धर्म स्वभाव एक एक द्रव्यमां रह्या छे. एम अनंता गुण पर्याय पण कहेवा. सर्व पदार्थ केवळिये दिठा तेने अनंतमे भागे अभिलाष्यवाक वर्गणा योग्य अनभिलायने अनंतमे भागे ते अभिलाय. वळी अभिarora अनंतमे भागे वक्तव्य कला तेने अनंतमे भागे गणधर महाराजे सूत्र गुंध्या छे, तेथी असंख्यातमे भागे हमणा आगम रह्या छे ए ८ पक्ष. वळी नित्य अनित्य पक्षथी उपनी चोभंगी कहे छे. अनादि अनंत ते जेनी आदि ने अंत नथी ते प्रथम भांगो. जेनी आदि नथी ने अंत छे ते अनादि सांत बिजो भांगो. जेनी आदि छे ने अंत पण छे ते सादि सांत त्रिजो भांगो. जेनी आदि छे पण अंत नथी ते सादि अनंत चोथो भांगो. धर्मास्तिकायमा ४ गुण अनादि सांत भांगो नथी पर्याय ४ खंध, देश, प्रदेश, अगुरु लघु, ए ४ सादि सांत त्रिजे भांगे छे. सिद्धना जीवमां धर्मास्तिकायना प्रदेश सादि अनंत चोथे भांगे छे. एमज अधर्म द्रव्यमां. आकाशमां पण ए रीते जाणवुं पण एटलो विशेष के खंध अनादि अनंत पहेले भांगे जाणवुं. काल द्रव्यमां गुण ४, अनादि अनंत पहेजे भांगे छे. अने पर्यायां अतीत काळ अनादि सांत विजे भांगे छे. वर्तमान काळ सादि सांत त्रिजे भांगे छे. अनागत काळ सादि अनंत चोथे भांगे
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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