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________________ १३० पांच बोल. .. बाविशमे तपत्रो कहे छे. सूर्य उंची १०० जोजन तपे छे, हेठो १८०० जोजन तपे छे अने त्रिछो ४७२६३ जोजनने साठिया २१ भाग तपेछे. २२. विशमे उंचपणुं कहेछे-समभूतल थकी ७९० जोजन उंचा जइये तिवारे तारामंडल आवे तिहाथी१०जोजन उंचपणे सूर्यविमान छे, तिहांथी८० जोजन उंचपणे चंद्रमान विमान छे, तिहाथी ४जोजन उंचपणे नक्षत्रना विमान छे, तिहांथी४जोजन उंचपणे बुधनो तारो छे, तिहांथी३जोजन उंचपणे शुक्रनो तारो छे, तिहाथी ३जोजन उंचपणे बृहस्पतिनो तारो छे, तिहांथी३जोजन उंचपणे मंगलनो तारो छे, तिहांथी३जोजन उंचपणे छेहलो शनिश्चरनो तारो आवे एम ११० जोजनमां ज्योतिष चक्र छे. २३. ___ चोविसमे आंतरं कहे छे. चंद्रमां चंद्रमाना विमानने सूर्य सूर्यना विमान ने १ लाख जोजन- आंतरं छे, अने चंद्रमा सूर्यना विमानने अर्द्ध लाख जोजननु आंतरं छे. पचीशमे बोले शुभ वर्ण गंध रस स्पर्श भोगवता थका ज्योतिषि विचरे छे. २५, हवे पांचमो वैमानिकनो द्वार कहे छे. पहेले नाम, बिजे आधार, त्रिजे वर्ण,चोथे वस्त्र, पांचमे सामानिक, छठे आत्मरक्षक, सातमे जाडपणु,आठमेउंचपणुं नवमे पुष्फाविकीर्णविमान,दशमे आवलिकाबंधविमान,इग्यारमे परिषद्,बारमे उद्योत, तेरमेदेवीओ,चौदमे लोकपाल, पनरमे त्रायत्रिशक, सोळमे७अणिका, सतरमे अणिकाना अधिपति,अढारमे संघषण,ओगणीशमे अवधिनुंदेख,विशमे ४बोल. पहेले नामकहेछ. सुधर्म.१, इशान २, सनतकुमार ३, माहेंद्र ४, ब्रह्मलोक ५, लंतक ६, महाशुक्र ७, सहस्त्रार ८, आणत ९, प्राणत १०,
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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