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शील महिमा गर्भितं शील कुलकम्
किसी से भी
शील के प्रभाव से ही जिस सुभद्रा सती ने से छलनी के जल से चंपानगरी के घाटित कपाट तीनों के द्वारा उद्घाटित कर दिये थे, ऐसे सती का चरित्र किस चित्त को हरण नहीं करता ? ॥ ७ ॥
नंदउ नमया सुंदरी,
सा सुचिरं जीइ पालियं सीलं ।
गहिलत्तणं पि काउं
सहिश्राय विडंबणा विविहा
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भीसरणम्मि राय चत्ताए ।
जं सासीलगुणेणं, छिन्नग पुन्ना जाया
कूप में
अनुद्
वह नर्मदा सुन्दरी हमेशा जयवन्ती रहे कि जिसने पागलपन का स्वांग करके भी शीलव्रत का पालन किया, तथा शील रक्षा के लिये विविध विडम्बनाएँ सहन की ॥ ८ ॥
भद्द' कलावईए
॥ ८ ॥
॥ १॥
भयंकर जंगल में स्वपति परित्यक्ता कलावती सती का कल्याण हो कि जिसके शीलगुण के प्रभाव से छेदित हाथ पुनः जुड गये ॥ ६ ॥