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में ख्याल आ जायगा । सव कुलकों का विषय-सार यहां दिया जाता है। १. गुणानुवाद कुलक
गुणानुरागी उत्तम पद प्राप्त कर सकता है इसलिये गुणीजनों के प्रति अनुराग रखना और दूसरों के दोषों के प्रति दुर्लक्ष करना । उत्तम पुरुषों की सदा प्रशंसा करना । . २. गुरुप्रदक्षिणा-आचार्यवंदन कुलक ____गणधर, युगप्रधान, आचार्य आदि गुरु जिनवचनों का उपदेश करने वाले होने से उनके दर्शन से क्रोधादि कषाय दूर होते ही मानवभव सफल होता है । ३. संविज्ञ साधु योग्य नियम कुलक
यह कुलक साधुओं को उद्देश कर लिखा गया है। इसमें साधुओं के आचार-नियमों का निरुपण है । ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार और वीर्याचार के नियमों में कभी प्रमाद न करना चाहिये । साधुओं के नियमों में सदा जागृति रखना चाहिये । ४. पुण्य कुलक ____ पुण्य से मानवभव, आर्यदेश, उत्तम जाति, उत्तम धर्म आदि की प्राप्ति होती है इसलिये मनुष्य को पुण्य कार्यों में तत्पर रहना चाहिये ।।