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श्रीपञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी.
उल्लास ]
२ जिनेश्वरोना पूर्वभवना द्वीप -
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ऋषभादिक चारे वली, शांति प्रमुख नव धार । जम्बुद्वीपे भव पाछले, थया जग जयकार ॥ २८ ॥
सुमति प्रमुख चउ जिना, विमलादिक अरु तीन | धातकिखंडे सुविधि चउ, पुष्करद्वीपे लीन ॥ २९ ॥
३ जिनेश्वरोना पूर्वभवना क्षेत्र -
ऋषभादिक बारे विभ्रू, शांति कुन्थु अरनाथ | पूर्वविदेहे, मल्लिजिन - पश्चिमविदेहज थात ॥ ३० ॥ विमल धर्म सुव्रत नमि, नेमि पार्श्व ने वीर । भरतक्षेत्र भव पाछिले, अनंतैरवत धीर
॥ ३१ ॥
४ जिनेश्वरोना पूर्वभवनी क्षेत्रदिशा
विमल धर्म सुव्रत नमि, नेमि पार्श्व अरु वीर । मेरुथी दक्षिण दिशा, उत्तर अनंत सुधीर ॥ ३२ ॥
ऋषभ सुविधि सुमति तहा, शांति कुंथु जिनराज । शीताथी उत्तर - दिशा, शेष दश दक्षिण साज ॥ ३३ ॥
५ जिनेश्वरोना पूर्वभवना विजय -
ऋषभ सुमति शांति सुविधि, पुष्कलविजये जात । अजित पद्म शीतल अरा, वच्छविजय विख्यात ॥ ३४ ॥