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ॐ अर्हम्नमः । श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वर - सङ्कलिता
श्रीविंशतिविहरमानजिन - चतुष्पदी ।
१ - विहरमानजिनाऽभिधानादि, ( चोपाइमां ) विहरमान जिनवर के नाम, सीमन्धर युगमंधर स्वाम | बाहु सुबाहु सुजात विख्यात, स्वयंप्रभ ऋषभानन तात ॥ १॥ अनंतवीर्य सूरप्रभ श्रीविशाल, वज्रधरजिन जगत दयाल | चन्द्रानन चन्द्रबाहु नाथ, ईश्वर ने श्रीभुजंग सुसाथ ||२|| नेमिप्रभ ने श्रीवीरसेन, महाभद्र कहे श्रुतधर वेन । देवयशा त्रिजगना राय, अजितवीर्य जिन नाम कहेवाय ॥३॥
२ - विहरमानजिन - जननी, ( हरिगीत - छन्दमां ) विहरमान वीसकी माताओं का नाम अनुक्रमसुं कह्या, श्रीसत्यकी सुतारादेवी विजया के उदरे रह्या । भूनंदादेवी देवसेना वलि सुमंगला जानिये, वीरसेना ने मंगलावती प्रभु मात को पहिचानिये ॥ ४ ॥ जिनजननी भद्रादेवी विजयावती अरु सरस्वती, पद्मावती रेणुकादेवी यशोज्ज्वला जननी सती । प्रभुमात महिमादेवी सेना भानुमती अमनी सही, अरु उमादेवी गंगादेवी मात कनीनिका कही ॥५॥