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१४४ श्रीपञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. [पंचककृष्ण थया नेमी समे, हिवे आयु कहिवाय । चोरासि बहोत्तर साठ, तीस दश लक्ष गणाय ॥५०८॥ पेंसठ छप्पन बार इक, सहस ए क्रमे जान । सूरिराजेन्द्र भाषे सहि, देखो शास्त्र परमान ॥५०९॥ निदानकर्म प्रभाव से, थाय छे वासुदेव । आयु पूर्ण थयां नरकमां, जाय छे इ ततखेव ॥ ५१० ॥ वासुदेव बलदेवना, पिता एकज थाय । प्रजापति ने ब्रह्मराज, भद्रराज नृपराय ॥५११॥ सोमराज शिवराज अरु, महाशिर अग्निसिंह । दशरथ ने वसुदेवजी, जनक ए पुरुषसिंह ।। ५१२ ॥ मृगावति पद्मादेवि, पृथ्वी सीता देवि । अमृता लक्ष्मीवती, शेषवति सुमित्रा लेवि ॥ ५१३ ॥
सादि-इकतालि चालीस, ती त्रिंश अठवीस ॥१॥ वीस पंदर बार सात, धनुष ए क्रमे जान । बारे चक्री राजनो, गणिये इम तनुमान ॥२॥ सुभूम ब्रह्मदत्तजी, सातमि नरके लेव । मघवा सनतकुमारजी, त्रीजा स्वर्गे देव ॥ ३ ॥ शेष चक्री संयम ग्रही, करी कर्मनो नाश। ... मोक्षे जई विराजिया, सादि अनंत थितिवास ॥४॥