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उल्लास] श्रीपञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. १३३ मगसिरवदि एकादशी, सप्तमि फाल्गुन किण्ह । भाद्रववदिनी सप्तमी, तिम सुदि नवमी दिण्ह ॥४४७॥ वैशाखवदि बीजे तथा, श्रावणवदिनी तीज । अषाढ सुदी चतुर्दशी, तिम वदि सप्तमि लीज ॥४४८॥ चैत्र ज्येष्ठ सुदि पंचमी, जेठ वदि तेरस होय । वैशाखवदिनी प्रतिपदा, मगसिरवद दशमि जोय।।४४९॥ फाल्गुन शुक्ल वारस दिन, ज्येष्ठवद नवमि जोय । वैशाखवदि दशमी दिन, शुचिवद आठम होय ॥४५०॥ श्रावणसुदि आठम सरस, काति अमावस वीर । मोक्ष मास पख तिथि कही, सूरिराजेन्द्र सुधीर ॥४५१॥ १५१ जिनेश्वरोना मोक्षगमन नक्षत्रअभीचि मृगशिर आर्द्रा, पुष्य पुनर्वसु जान । चित्रा अनुराधा ज्येष्ठ, मूल पूर्वाषाढान ॥४५२ ॥ धनिष्ठा उत्तराभाद्रपद, रेवति रेवति पुष्य । भरणी कृत्तिका रेवति, भरणी श्रवण सुमुख्य ॥ ४५३॥ अश्विनी चित्रा विशाखा, स्वातिऋक्ष प्रमाण । ऋषभादिक क्रमे मानिये, सूरिराजेन्द्र सुवाण ॥४५४॥ सितर कोटि लख ऊपर, छप्पन्न कोटि हजार। • एता वर्ष मिलाय के, एक पूर्व दिल धार ॥२॥
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