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________________ १३२ श्रीपञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. [पंचमसहस चोपन नवशत अरु, मल्लिजिन जयवंत । साढीसात सहस्र वर्ष, मुनिसुव्रतजिन मंत ॥४३९ ॥ अढी सहस नमिनाथनु, सातसो नेमिजिनेश । सित्तर वर्ष श्रीपार्श्व, वयाली वीर गिणेश ॥४४०॥ चोवीसे जिनरायनो, गणिये इम व्रतकाल । सूरिराजेन्द्र भाषियो, धरिये हृदि उजमाल ॥ ४४१ ॥ १४९ जिनेश्वरोनो सर्वायुष्प्रमाणचोरासि बहोत्तर साठ, पचास चालिस तीस । वीस दश अरु दो एक, एता लख पूर्व धरीस॥ ४४२ ॥ चोरासि बहोत्तर साठ, तीस दश वली एक । एता लाख वर्ष समझ, नियम एहीज पेख ॥ ४४३ ॥ पंचागुं चोरासी अरु, पचपन तीस सुजोय । दश एक ए वर्ष सहस, गणिये क्रमसे होय ॥ ४४४ ॥ पार्थजिन आयु वर्षशत, बहोत्तर महावीर । चोवीस जिन आयु इम, भाषे मूरि बडवीर ॥ ४४५ ॥ १५० जिनेश्वरोनी मोक्षगमन मास तिथिमाधवदि तेरस ऋषभ, मधुसुदि पंचमि दोय । वैशाखसुदिनी अष्टमी, मधुसुदि नवमी होय ॥४४६॥ १ वर्ष लाख चोरासिनो, पूर्वाङ्ग एकज होय । एने एता गुणा कर्यां, एक पूर्व दिल सोय ॥ १ ॥
SR No.022123
Book TitlePanchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri, Yatindravijay
PublisherRatanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
Publication Year1935
Total Pages202
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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