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________________ शदेव ॥५कन्यावृषे शिखिनोंगवेदाः'। सास्त्रिरामा मिथुने च सिंहे॥ कर्के त्रिरामा वसुदेवयुक्ता। ए. षा मितिः संक्रमवासराणां ॥ ६ ॥ ततश्च-एकार्कपददिशास्त्रिंदता-त्रिदतपदेशिराः कुसूर्योः ॥ मृगादिषट्केऽहनि वृधिरेवं । कर्कादिषट्केऽपचितिः पलाया । ॥15॥ प्रविशंतो सर्वबाह्य-मंडलातरणी यदा ॥ सं. क्रम्य चरतः सर्व-बाह्या चीनमंमले ॥ ७ ॥ तदा दा. श्रने मेष तथा तुलासंक्रांतिमां त्रीस घडी होय . ॥ ॥ ५ ॥ कन्या अने वृषसंक्रांतिमां एकत्रीस घडी बने तालीस पल होय , तथा मिथुन अने सिंहसंक्रांति मां तेंत्रीस घडी अने बार पल होय , तथा कर्कसंक्रां तिमां तेंत्रीस घडी यमतालीस पल होय , एवी रीतर्नु संक्रांतिना दिवसोनुं माप , ॥ ६ ॥ अने तेथी-एक, बार, बे, पांच,त्रण, अने बत्रीस, तथा त्रपा, बत्रीस, बे, बे, पांच, एक अने बार, ए रीतनी पलादिकरूप मकरश्रादिक छ संक्रांतिमां वृधि थाय , अने कर्कश्रादिक उ संक्रांतिमां कमी थाय . ॥ ७ ॥ सर्वथी बहारना मंडलमाथी ते बन्ने सूर्यो संक्रमीने ज्यारे सर्वथी बहारना अर्वाचीन मंमलमां गमन करे , ॥ 1 ॥ त्यारे मुहूर्त
SR No.022113
Book TitleLok Prakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay, Shravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1916
Total Pages536
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size34 MB
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