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________________ 4.1 (३७) ॥ ६१ ॥ नीलवपर्वतगत-केसरिहृदतः किल ॥ शीता च नारीकांता च । निर्गते हे महापगे ॥ ६ ॥ तथा म. हापुंडरीक-हृदाऽस्मिनगाश्रितात् ॥ नरकांता रूप्यकुले -त्युसते निम्नगे नन्ने ॥ ६३ ॥ शिखरिदमाघरस्थायि-पु. मरीकहृदोलिताः ॥ रक्तारक्तवतीस्वर्ण-कूलाभिधा महापगाः ॥ ६४ ॥ एवं च तिस्रो नद्यो हिमवत-स्तिस्रः शिखरिणो गिरेः/। शेषवर्षधरेज्यश्च । महानद्योईयं यं ॥ ६५ ॥ वर्षाण्याश्रित्य सरितः । प्रतिवर्ष दयं यं ॥ हे विदेहेष्वपाच्यां नी बे महानदीन ने ॥ ६१ ॥ नीलवान पर्वतपर रहेला केस रिहदमांयी निकळेली शीता तथा नारीकांता नामनी बे महानदीन ने ॥ ६ ॥ वली रुक्मिपर्वतपर रहेला म. हापुमरीकहृदमांयी निकलेली नरकांता अने रुप्यकूला नामनी बे महानदीन ने. ॥ ६३ ॥ शिखरीपर्वतपर रहेला पुंडरीकहृदमांथी निकलेली रक्ता, रक्तवती, अने स्वर्णकूलानामनी महानदीन ने.॥ ६४ ॥श्रने एवीरीते त्रण नदीन हिमवंतपर्वतमांयी अने त्रण शिखरीपर्वतमाथी मिकळे ने. अने बाकीनी बबे महानदीन बाकीना वर्षवरपर्वतोमांथी निकले . ॥६५॥ क्षेत्रोनीय.
SR No.022113
Book TitleLok Prakash Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay, Shravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1916
Total Pages536
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size34 MB
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