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॥ श्रीवर्द्धमान-सत्य-नोति-हर्षसूरिजैन ग्रन्थमाला पुष्प ३॥
ॐ. अर्हनमः सुविहित प्राचार्यश्री विजयनीतिसूरीश्वरपादपद्मभ्यो नमः॥ युगवर सहस्रावधानी वादीगोकुलषंढ आचार्यश्री
मुनिसुन्दरसूरीश्वरमहाराजविरचित
अध्यात्मकल्पद्रुम
हिन्दीभाषानुवादक कु. सुमित्रसिंह लोढा-जैन-माँडलगढ(मेवाड)
प्रकाशक
श्री वर्द्धमान-सत्य-नीति-हर्षसूरि जैन ग्रन्थमाला के मंत्री धर्मरसिक श्रेष्ठी भोगीलाल सांकलचंद
रीचीरोड-अमदावाद वीर सं. २४६४) प्रथमावृति प्रत १००० ( विक्रम सं. १९९४ सत्य सं. २३८ । मूल्य २-८-० । सन १९३८
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मुद्रक
शेठ देवचंद दामजी-प्रानंद प्रिन्टिंग प्रेस-भाषनगर
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