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________________ यति स्वरूप - भावदर्शन यतिको गृहस्थकी चिन्ता न करनी चाहिये गृहस्थचिन्ता के फल तेरी प्रतिज्ञा तेरी. व्यवहार प्रकट प्रशस्त सावध कर्मो का फल निष्पुण्यकी चेष्टा उद्धव वर्तन-अधम फल चारित्रप्राप्ति - प्रमादत्याग बोधिबीज प्राप्ति - आत्महित साधन शत्रुओंके नाम सामग्री- उनका उपयोग संयमकी विराधना न करना संगम से सुख-प्रमादसे उसका नाश संयमका फल - ऐहिक आमुष्मिक - उपसंहार चतुर्दशो मिथ्यात्वादिनिरोधाधिकारः चहेतुका संवर कर मनोनिग्रह - तंदुल मत्स्य मनोवेग-प्रसज्ञचन्द्र मनकी- अप्रवृत्ति-स्थिरता सुनियंत्रित मनबाले पवित्र महात्मा वचन अप्रवृति- निरवद्य वचन निरवद्यवचन - वसुराजा दुर्वाचाका भयंकर परिणाम तीर्थकर महाराजा और वचनगुप्तिकी आदेयता कायसंवर- कछुओं का दृष्टान्त कायाकी प्रवृत्ति - कायाका शुभ व्यापार श्रोत्रेन्द्रिय संवर तुरिन्द्रियसंबर घ्राणेन्द्रियसंवर रसेन्द्रियसंबर स्पर्शनेन्द्रिय संयम बस्तिसंयम ५५३ ५५४ ५५६ - ५५७ ५५८ ५६० ५६२ ५६३ .. ५६४ ५६५ ་་ ५६८ ५६९ ५८० ५८५ ५८७ ५९१ . ५९३ : ५९४ ५९५ ६०१ ६०३ જ ६०५ ६०५ ६०६ ६०७ ६०८ ܙܙ ११
SR No.022086
Book TitleAdhyatma Kalpdrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay Gani
PublisherVarddhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1938
Total Pages780
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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