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यति स्वरूप - भावदर्शन
यतिको गृहस्थकी चिन्ता न करनी चाहिये
गृहस्थचिन्ता के फल
तेरी प्रतिज्ञा तेरी. व्यवहार
प्रकट प्रशस्त सावध कर्मो का फल
निष्पुण्यकी चेष्टा उद्धव वर्तन-अधम फल
चारित्रप्राप्ति - प्रमादत्याग
बोधिबीज प्राप्ति - आत्महित साधन
शत्रुओंके नाम
सामग्री- उनका उपयोग
संयमकी विराधना न करना
संगम से सुख-प्रमादसे उसका नाश संयमका फल - ऐहिक आमुष्मिक - उपसंहार
चतुर्दशो मिथ्यात्वादिनिरोधाधिकारः
चहेतुका संवर कर मनोनिग्रह - तंदुल मत्स्य
मनोवेग-प्रसज्ञचन्द्र
मनकी- अप्रवृत्ति-स्थिरता
सुनियंत्रित मनबाले पवित्र महात्मा
वचन अप्रवृति- निरवद्य वचन
निरवद्यवचन - वसुराजा दुर्वाचाका भयंकर परिणाम
तीर्थकर महाराजा और वचनगुप्तिकी आदेयता
कायसंवर- कछुओं का दृष्टान्त
कायाकी प्रवृत्ति - कायाका शुभ व्यापार
श्रोत्रेन्द्रिय संवर
तुरिन्द्रियसंबर
घ्राणेन्द्रियसंवर
रसेन्द्रियसंबर
स्पर्शनेन्द्रिय संयम
बस्तिसंयम
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