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पष्टिशतक प्रकरण
[सो.] कुंडचउत्थी० विणायगचउत्थि महानउमि वत्सबारसि बीजाई पर्व सीअलसत्तमि द्रोअट्ठमि शिवरक्ति नागपंचमि काजलीत्रीज आमलीइग्यारसि अविलोअपांचमि' अमांस षष्टीजागरण नवसती पितस्पिंडदान नवोदकि पीपल-जलदांन अमावस जमाई-भोजनप्रमुख 5 मिच्छत्त. अनेक एहवा मिथ्यात्त्वपोषक पर्व करइ करावइ । तेसिं तेहहूई इसिउं जाणिवउं । सम्यक्त्व नथी ॥ ७८ ॥
[जि.] जे श्रावक कुंडचतुर्थी महानवमी अनइ बारसि तेहना पिंडदानप्रमुख मिथ्यात्त्वधर्मना भावक पोषक मिथ्यात्त्व करई तेसिं तेहां श्रावकहूई सम्यक्त्व नहीं । लगारइ मिथ्यात्वनउ लवलेश करइ सु 10अजाण इति भाव ॥ ७८ ॥
[मे.] कुंडचउथि कहतां विणाइगचतुर्थी महणिमनी नवमी वत्सबारसि सीयलसप्तमी द्रोअष्टमी शिवरात्रि नागपंचमी काजलीत्रीज आमलीइम्यारसि अविलोआपंचमी अमासः षष्टीजागरण प्रमुखे पिंडदानप्रमुख जे मिथ्यात्वनइ भावक उपजावणहार जे करइ तेहनइ सम्यक्त्व 1ऽनही ॥ ७८॥
[सो.] केतलाइ उत्तम आपणउं कुटुंब मिथ्यात्वतउ काढह । ए वात कहइ छइ ।
[मे.] अथ नाणनी बात कहइ । जह अइकुलम्मि खुत्तं सगडं कइंति केवि घुरधवला। तह मिच्छाओ कुडंबं अह विरला केवि कति ॥७९॥
[सो.] जिम कादमना गाढा कलमाहि गाडउं खूतउं हुइ ते १ अविलोवा पंचमि. २ एला. ३ अइकालमि, मे. अइकलंमि. ४ धुरि.