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॥ रत्नसार ॥ ६१. हिवै सम्यक्त, मिथ्यात्व नो इकसठमो प्रश्नः-सम्यक्त ते,जीवनी सत्ताइ द्रव्य तत्व रूप कै. ते जिवारे पोतानो समय पामी ने पडै तोही पिण मिथ्यात्व पर्याय द्रव्य गुण रूपै एकत्व पणै न प्रणमी सकै तेहनाथी,तो तिवारे ७०सीत्तर कोडाकोडी सागरोपम नीथिति बंधाती नथी. एटला माटै मिथ्यात्व ते पर्याय रूप प्रणमै छै. त्यारे एक कोडाकोडी सागर नी माठेरी बंधाय छै, ते भाव पोताना क्षयोपशम थी उपजै छै. पछै ज्ञानवंत बहुश्रुत कहै ते सत्य इति.
...६२.हिवै पद्गल ते कर्म छै,अने जीव ते पिण कर्म बैते शी रीते?ते बासठमो प्रश्नः-पुद्गल परमाणु विभाव रूपै प्रणमै तिवारे द्विणुकादि खंध कर्म नीपजै१. अने जीव पिण पोतानो स्वभाव मेली विभाव रूपै प्रणमै तिवारे कर्म रूप थईनें पुद्गल कर्म वर्गणा ग्रहैर.ते जीव जिवारे सम्यक्त पामै तिवारे जीव अकर्म रूप थयो. पुद्गलना कर्म पुद्गल प्रतया उद्य प्रतियां रया, अने आत्म प्रतियां गया, ए भाव जाणवो.