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॥ रत्नसार ॥ (२५) ३८. हिवै जन्म जरा मरण नुं दुःख किम टल ते अडतीसमो प्रश्न कहै छैः-तेहना हेतु रत्नत्रय धर्म ते किम ? सम्यक दर्शन गुण थयो अनन्त पुद्गल परावर्त्तता ए जे जीव घणा जन्म करतो ते अई परा पुद्गल मांठैरा तांई उत्कृष्टै जन्म करै. एटले सम्यक दर्शन गुणै घणा जन्म नी परंपरा थी खपावे १. तथा जरा जे शुभाशुभ कर्म उदयागतै आवै ते सुख दुःख रूप वेदावे, तेह नी वेदनी ना सम्यक ज्ञान गुणै मिटाववानो २. जीव ने सम्यक चारित्र गुण ते स्वरूपाचरण व्रताचरण रूपै चारित्र गुणै जिहां मरण थी गति पामै. एटलेइ चारित्र गुणे मरण वेदना मिटाविये ३. ए रीते जन्म जरा मरण भय मिटाववानो हेतु दर्शन ज्ञान चारित्र ए तीन गुण जाणवा. ए भाव.
३९. हिवै योगै बांधै छै कर्म, तथा सत्ताये पिण कर्म छै ते शी रीते छुटै?ते उगणचालीसमो प्रश्न कहै छैःयोगतीन उपार्जा जे कर्म ते तप संजमादि शुभ क्रिया