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________________ . ॥ गाश्चार्थ ॥ (२७) आई है उस का अर्थः-- ___आवश्य करिने जिनराज उपदेशे ते हमारा गुरू उपदेश करीने तीन थुइ एम सिलोगादि करीने पडिलेहणा करवी कालग्रहण करवारी विधि इहां ए छ.... __२७५ वें प्रश्न में तबसंयमण' इत्यादि पांच गाथा.आई हैं उन का अर्थः ..तप. और . संजम करीने तो कर्म नो मोन थाय छ १ अने. दान देवे करीने उत्तम भोग मले छे२ देव पूजाई करी राज मले छे३ अणसण मरण मरबे देव पणो. पामे. १. इंद्रपणो १ चक्रवर्तिपणो २ पंचानुत्तर विमाण वासिपणो ३ लोकंतिक देवपणो ४ ए अभव्य जीव ते न पामे. २. संगमो देव १ काल वसूरियो कसाई २ कपिला श्रेणिक नी दासी ३ अंगारमर्दकाचार्य४ पालक पापी ५ दूजो किसनजी को पुत्र पालक ६सातमा उदाइ नृपमारनारो ७ ए सात अभव्य प्रसिद्ध. ३.
SR No.022052
Book TitleRatnasar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Nihalchand Shravak
PublisherTarachand Nihalchand Shravak
Publication Year1899
Total Pages332
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size14 MB
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