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________________ ॥ रत्नसार ॥ (१२१) गुण, वीर्य गुण, ए आदि देई ने अनंत गुण. __सम कितना पर्याय-श्रास्था १ श्रद्धार परतीत३ निरधार ४ रुचि ५ अभिलाष ६ बहुमान ७ आर्थ पणो ८ तत्व ईहा ९ गुण अद्भूतता १० गुण गुणी आश्चर्यता ११ तद विरह कारकता १२. ज्ञान पर्याय-अवलोकन १३ भासन १४ परिछेदन १५ विवेचन १६ अमात चेतनलं १७ सर्व वेत्ता, अपरपातीलं, निरावरणत्वं. चरण पर्याय-१ एग २ थिरता ३ तत्वरमण ४ निश्चलानुभूति ५ परम क्षमा ६ परम माइव ७ परम आर्जव ८ परम मूर्ति ९ अकामता १० अना संशय ११ सुख १२ ए आदि देईनें अनंत पर्याय जाणवा. . हिवै समकित नी १० दस रुचि छ ते कहै छैःतिहां पहली निसर्ग रुचि १ बीजी उपदेश रुचि २ त्रीजी ज्ञान रुचि ३ चौथी सूत्र रुचि ४ पांचमी बीज रुचि ५ छठी अभिगम रुचि ६ सातमी विस्तार रुचि ७
SR No.022052
Book TitleRatnasar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Nihalchand Shravak
PublisherTarachand Nihalchand Shravak
Publication Year1899
Total Pages332
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size14 MB
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