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(११०) ॥ रत्नसार ॥ द्रव्य ना पर्याय पलटाइ नहीं.
१४९. हिवै वेदनी निर्जरानी चोभंगी नो एकसौ गुणपचासमो प्रश्नः-महा वेदनी अने अल्प निर्जरा नारकी ने १. अने महावेदनी महा निर्जरा साधु ने होय. गज सुकमालवत परे २. अने अल्प वेदना अल्प निर्जरा देवताने अने माहा निर्जरा अल्प वेदना से लेशी कारक ने ये चौभंगी जाणवी.
१५०. हिवै मिथ्यात्व नी चौभंगी नो एकसौ पच्चासमो प्रश्नः- अनादि अनन्त अभब्य ने मिथ्यात्व १. अने अनादि शांत भब्य जीव ने मिथ्यात्व २. सादि सांत समकित पांमी फिरी पाछो मिथ्यात्व जाय ने फिरी समकित पामे तेने ३. अने सादि अनन्त कोई ने नहीं ४.इति चौभंगी मिथ्यात्व नी. __ १५१. हिवै सीहपणे लेइ ने सींहपणे पालै तेहनी चौभंगी जाणवी ते एकसौ इकावनमो प्रश्नःसीह ता ईमिस्कं तो सीहताए विहरई जंबूथूल