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॥ रत्नसार ॥ (८९) श्रीवीरमिल्या कहाइ. संदेहो नास्ति.
१२४. हिवै कर्म वर्गणा जीव लीए छै ते थोडी घणी को ने श्रापै छै ते एकसो चोवीसमो प्रश्नःसमै२ जीव कर्म वर्गणा ने ग्रहे छै. ते आठे कर्म पणै वेहचीने आपै. ते मांहि कोई ने घणी वर्गणा आपै. सर्व थी थोडं कर्म दल वर्गणा आयु कर्म ने आपै. तेह थी नामगोत्र कर्म ने विशेषाधिक आपै. तेथी ज्ञानावरणी १, दर्शनावरणी २, तथा अंतराय ३, ए कर्म ने विषै मांहो मांहि विशेषाधिक आपै सरीखं,तेथी मोहनी ने कर्म वर्गणा दल अधिक आप, तेथी वेदनी ने अधिक. इम सर्व जोतां तो वेदनी कर्म ने कर्म वर्गणा दल विशेष श्रापै. इति भगवतीजी सूत्रे कयूं है. ए भाव.
१२५.हिवै विग्रह गति केतला समय नो ते एकसौ पचीसमो प्रश्नः-भगवतीजी सूत्र मध्ये एकेंद्री ने पांच समय नो विग्रह गति ते त्रस नाडी बाहरै विदिसे रह्यो होय. थावर जीव विदेसे त्रस नाडी बाहरै उपज