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॥ रत्नसार ॥
हिवै क्षायिक वेदक नो एक भेद. ते किम ? ते छः प्रकृति खपा ने एक वेदै ते चायिक वेदक कहिये. तथा छः उपशमात्रै अने एक वेदै ते उपशम वेदक कहिये. इम तीन प्रकार नो क्षयोपशम समकित, बे प्रकार नो क्षयोपशम वेदक, एक प्रकारे नायक वेदक, एक प्रकारे उपशम वेदक, एवं ७ सात तथा एक क्षायक जे साते क्षय जाय, एवं ८ आठ तथा एक उपशम जे सातै उपशमावै, एवं ९नव प्रकारे समकित ना विवरीनें नव भेद छट्ठा पूर्व मध्ये कया है. तेहनी ए आम्नाय.
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१०७. हिवै मोहनी ना लक्षण कहै छै ते एकसौ सातमो प्रश्नः - मिथ्यात्व मोहनी ते श्युं ? ते विभ्रम पणै युक्त श्रात्मस्वरूप विपरीत जाणै जिम सीप ने रूपो कहै.ते १. मिश्रमोहनी ते विभ्रम पणै संदेह युक्त अनिर्द्धारपणे जाणे पण श्रात्म ज्ञान प्रर्ते पामवा नादे २. सम्यक्त मोहनी ते समी वस्तु ऊपर मोह उपजावैम्हारा देव, म्हारा गुरु तथा जिनवचन मध्ये संका