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________________ ५० लघ्वर्हन्नीति एतद्विषयाभियोगे उत्तरदानार्थं प्रतिवादिनं प्रत्यवधिं न देयात्। तत्क्षण एवोत्तरं गृह्णीयात्। अन्यथा असत्यसाक्ष्यादिना कृत्यविपर्ययः। ऋणादिव्यवहार में उत्तम ऋण निरूपित विषय का शोधन कर उत्तर देने हेतु न्याया-धीश तीन दिन की अवधि प्रदान करे। विशेष मामलों (आपराधिक वादों) में राजा पन्द्रह दिन (एक पक्ष) की मर्यादा प्रदान करे। इसके पश्चात् समय न दे। . गोवध, मार-पीट, लाठी आदि से प्रहार, स्तेय-चोरी, पारुष्य-क्रोध से कठोर वाक्य का कथन, साहस अर्थात् विष और शास्त्र आदि से प्राणघात, स्त्री का दुश्चारित्र्य इत्यादि विषयों के अभियोग में उत्तर देने के लिए प्रतिवादी को अतिरिक्त समय न दे तत्क्षण ही उत्तर माँग ले। अन्यथा असत्य साक्षी आदि द्वारा वाद में छेड़छाड़ की सम्भावना है। . प्रत्यर्थी वादिपत्रं यावदुत्तरलेखनं शोधयेत् लिखिते तु शोधनं निवृत्तं भवेत् अतो गृहीतावधौ प्रतिज्ञापत्रं विविच्य यथातथमुत्तरं देयात्। प्रतिवादी वादी के पत्र का उत्तर जबतक लिख रहा हो तबतक वह संशोधन कर सकता है परन्तु लेखन से विरत होने के पश्चात् उसमें परिवर्तन नहीं कर सकता है। अतः ग्रहण की गई अवधि में प्रतिज्ञापत्र का विवेचन कर तथ्य के अनुसार उत्तर देना चाहिए। यदि रागाद् द्वेषाल्लोभाद्वान्यथोत्तरं देयात्स दण्ड्यः । यदि राग-द्वेष और लोभ के वश तथ्य से परे उत्तर दे तो उसे दण्डित करना चाहिए। तदुत्तरं द्विविधं श्राव्यमश्राव्यं चेति। प्रतिवादी द्वारा प्रदत्त उत्तर दो प्रकार का होता है - श्राव्य और अश्राव्य। तत्र श्राव्यं तु - उसमें सुनने योग्य उत्तर तो (इस प्रकार हैं) - अर्थिप्रतिज्ञां दृष्ट्वैव प्रत्यर्थी चोत्तरं लिखेत्। तद्वै चतुर्विधं सत्यं प्रतिभु व्यापकं तथा॥३०॥ असन्दिग्धमिति प्रोक्तं सूत्तरं निर्णये बुधैः। येन प्रकृतसाध्यार्थसिद्धिः प्रत्यर्थिनः स्फुटम्॥३१॥ वादी की प्रतिज्ञा (आवेदन) देखकर ही प्रतिवादी द्वारा उत्तर लिखना चाहिये। वह उत्तर सत्य, प्रतिभु, व्यापक एवं असन्दिग्ध चार प्रकार का होता है। विद्वानों द्वारा (वाद के) निर्णय में उसे उत्तम उत्तर कहा गया है जिससे स्पष्ट रूप से प्रस्तुत वाद में प्रतिवादी के साध्य अर्थ की सिद्धि हो।
SR No.022029
Book TitleLaghvarhanniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandracharya, Ashokkumar Sinh
PublisherRashtriya Pandulipi Mission
Publication Year2013
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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