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में बहुत उपयोगी होगा । उस कृति को प्रकाश में लाना चाहिये। बी. एल. आई. आने के बाद अर्हन्नीति की चर्चा होने पर मुझे गुरु की इच्छा पूर्ण करने का सुयोग मिला और उत्साह से इस कार्य को आरम्भ किया ।
इसकी दो पाण्डुलिपियाँ बी. एल. आई. हस्तप्रत भण्डार में थीं और दो पाटन (गुजरात) में थीं। संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो. जीतेन्द्र बी. शाह और और निदेशक महोदय के प्रयास से श्री हेमचन्द्राचार्य जैन हस्तप्रत भण्डार, पाटन के न्यासी श्री यतिन भाई शाह, एडवोकेट ने वहाँ उपलब्ध हस्तप्रतों की छायाप्रति उपलब्ध कराई और कार्य आगे बढ़ा। संस्थान के उपाध्यक्ष श्री नरेन्द्र प्रकाश जैन इस कार्य की प्रगति में निरन्तर रुचि लेते रहे और उत्साह वर्द्धन करते रहे। मैं उन सबके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।
मैं भोगीलाल लहेरचन्द विद्यामन्दिर परिवार के समस्त सदस्यों प्रशासनिक अधिकारी श्री पी. एस. गणेशन, पुस्तकालय प्रभारी श्री अभयानन्द पाठक, डॉ. मोहन पाण्डेय, लिपिक अनिता गुप्ता, पुस्तकालय परिचारक अर्जुन यादव, मुन्नी एवं अरविन्द को उनसे प्राप्त सहयोग के लिये धन्यवाद देता हूँ ।
इस पुस्तक की कम्प्यूटर टाइप- सेटिंग के लिये अपने संस्थान के सङ्गणक प्रभारी श्री लक्ष्मी कान्त के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ ।
इस अवसर पर उच्च नैतिक मूल्यों एवं शुचिता को जीवन में अङ्गीकार करने वाले अपने शुभचिन्तकों अग्रज श्री जगदानन्द सिंह पूर्व कैबिनेट मन्त्री एवं वर्तमान लोकसभा सांसद (बक्सर, बिहार), अग्रज श्री गिरीश चन्द्र द्विवेदी, अतिरिक्त आयुक्त पुलिस, दिल्ली, भारत सरकार पदस्थ परम सुहृत् श्री आनन्द मिश्र (संयुक्त सचिव, रक्षा), श्री अनिल स्वरूप (संयुक्त सचिव, श्रम विभाग), श्री उदय प्रताप सिंह (संयुक्त सचिव, इस्पात), श्री आदित्य कुमार बाजपेयी (निदेशक, प्रत्यक्ष कर, वित्त विभाग) एवं श्री राजेश्वर सिंह (संभागीय आयुक्त, भरतपुर, राज.) को उनसे प्राप्त आत्मीयता एवं प्रोत्साहन के लिये सदैव आभारी हूँ । इन सभी का स्नेहसिक्त व्यवहार मेरे लिये बहुत बड़ा सम्बल है।
पत्नी श्रीमती मीरा सिंह, भतीजे श्री विनोद कुमार सिंह, श्री बृजेश कुमार सिंह, पुत्र चिरंजीव सिद्धार्थ आनन्द, पुत्रवधू श्रीमती सुजाता, पुत्रियाँ सुश्री अदिति और माधवी सभी मेरी शैक्षणिक गतिविधियों में रुचि लेती हैं जिससे उत्साह बढ़ता है, अतः उन सभी को साधुवाद |
डॉ० अशोक कुमार सिंह,
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