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कूटसाक्षित्व कूपोदाहरण
कृत
कृतकृत्य
कृतनाश
कृषि
कृष्णपाक्षिक
केतु
केवल
केवलज्ञान
केवलज्ञानावरण
केवलदर्शनावरण
केवली
केशवाणिज्य
कैवल्य
कङ्कणा साधु
कोटिकोटि
कीत्कुच्य
कौमुदी
कौमुदीचार
क्रियारुचि
क्रोध
क्लिष्टबन्ध
क्षत्रिय
[क्ष ]
पंकश्रेणि
२६०
३४६
११४
३४५
१९३-१९४,
१९६, २१९
१०७
७३
२७६
३०९
२०७, ३५९
१२
१४
६८-६९,
. ७६, ३०७
२८८
३५९
२८९
३१
२९१
११५
९३
५२
१७
२३१
३२५
४८, १९६,
२०२, २१७
क्ष
१३७, १४३
क्षय
४४, १९४
क्षयोपशम ४३-४४, ५१, ६२ क्षायिक
४३, ५१
क्षायिक भाव
३५९
४८
क्षायिक सम्यक्त्व क्षायोपशमिक
४३-४४, ४७, ५१
दिक्प्रदा- टीकान्तर्गतशब्दानुक्रमणिका
क्षीणमोह
३०७, ३०९
क्षीरविकृति प्रत्याख्याता १२२
क्षेत्र
१९७, २७६
खादिम
गणधर
गति
गतिनाम
गन्ध
गर्भज
[ख]
गुणस्थान
गुप्ति
[ग]
गवानृत
गाथा
गार्हस्थ
गुण
गुणन
३३०
गुणव्रत ६, ४३, २८०, २८४,
३२८, ३७९
. गुरु
गृहपतिसुतचोर
गृह
गृहिप्रत्याख्यान गृहिलिङ्गसिद्ध
२८५
२, ७६, ३३०
३०३
२०
२१
७०, ७१
२६०
३५ ८१, १५९ १,९७,१०८-१०९, ३२८
११५
घर्षण - घूर्णन
घृतप्रदान
२९८
३४२
८७
गृही ३२६, ३४७, ३६५, ३८४
गोच्छक
७६
गोत्र
११, २५, २९-३०
गौतम
ग्रन्थि
ग्रन्थिभेद
[घ]
३७८
३२९
७६
९८
३२, ३४, ४२, ३५३
७
३१
३७६
[च]
'चक्रवर्ती ५६, ७४, ३८५
१४
३८१
२७९
९३
चक्षुदर्शनावरण
चण्डकौशिक
चतुर्मासक
चन्द्रगुप्त
चरणपरिणाम
चरमशरीर
चाणक्य
चातुर्मास
चातुर्मासक
चातुर्वर्ण
चारित्र
चारित्रक्षपकश्रेणि
चारित्रपरिणाम
चारित्रमोहनीय
चारित्रोपशमश्र णि
चिन्तामणि
चेतना
चैत्य
चैत्यगृह
छद्मस्थ
छविछेद
छिन्नगोदुकर
जन्म
जरा
२५१
जघन्यस्थिति
जल्लगन्ध
जंगमत्व
जत
चैत्यपूजा
चैत्यवन्दन ३४१, ३४३, ३५४
१८१
७४
१५, ४३, ८१
३९०
९३
१०८
३२८
७६
२९२, ३६५-३६६
२९२, ३२२, ३३९,
३४१
३४१
३८१
१५, ३७७ ३९० ३४८, ३८१ १८८
[ छ ]
११३, २०७, ३०४,
३०७, ३०९ २५८
२३६
[ ज ]
२७
३९४
३९४, ३९७
९३
३५६
३५७
1