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150/श्री दान-प्रदीप
अक्का की इस स्पष्टोक्ति को सुनकर वेश्या ने कहा-“हे माता! हमारे घर में पहले ही अगणित धन-सम्पदा है। यह पुरुष निर्धन होने पर भी सौन्दर्य सम्पदा का धनी है। केतकी के पुष्प सदृश इसके उज्ज्वल गुणों के कारण मेरा चित्त इसके वश में हो गया है। यह चित्त क्षण भर के लिए भी किसी अन्य के पास जाने में सक्षम नहीं है। अतः हे माता! मैं जीते-जी इसे छोड़ नहीं सकती।"
उनके इन वचनों को सुनकर उस दुष्ट अक्का ने अनुमान लगा लिया कि यह उस पर मोहित है, अतः उस समय तो वह कुछ नहीं बोली। पर कुमार को मरवाने के लिए उसने दासियों के द्वारा उसके भोजन में विष मिलवा दिया। अंधकार पर सूर्य के प्रभाव की तरह गुटिका के प्रभाव से वह विष उसका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाया। फिर से उस अक्का ने महातेजस्वी कुमार पर गुप्त रीति से कामणादि कुकर्म करवाये, पर गुटिका के प्रभाव से उसका कुछ भी पराभव नहीं हुआ। उसके सभी उपाय निष्फल हो जाने से अक्का ने विचार किया-"यह विषादि से मर नहीं सकता और शस्त्रादि के द्वारा इसका घात करवाने पर लोक में मेरा असहनीय अपवाद होगा। अगर कुमार यहां रहेगा, तो धन का अपव्यय वैसा का वैसा बना रहेगा।"
इस प्रकार उसका मन चिंता रूपी चिता से व्याप्त बन गया। वह अपने घर में जरा भी रति-प्रीति प्राप्त नहीं कर पाती थी। तब समय का निर्गमन करने के लिए वह अपनी दासियों के साथ समुद्र के किनारे रहे हुए वन में गयी। वहां समुद्र में उसने एक वाहन को देखा। उसे देखकर उसने नाविकों से पूछा-"यह वाहन कहां से आया है? कहां जायगा? यहां से कब रवाना होगा?"
। तब नाविक ने कहा-"यह वाहन रत्नद्वीप से आया हुआ है और आज रात्रि में ही वापस रत्नद्वीप जानेवाला है।"
यह सुनकर दुष्टा अक्का अत्यन्त हर्षित हुई। फिर माया-कपट में हुशियार अक्का ने मन में कुछ सोचकर वाहन के स्वामी के पास जाकर कहा-“हे श्रेष्ठी! मैं अपने पुत्र के साथ तुम्हारे पास आने की इच्छा रखती हूं।"
तब श्रेष्ठी ने कहा-“हे माता! अगर आपकी मेरे साथ आने की इच्छा हो, तो पुत्र को लेकर मध्य रात्रि में यहां आ जाना। हमारे वाहन के प्रयाण का मुहूर्त अर्द्धरात्रि में ही है।"
यह सुनकर अक्का ने कहा-"बहुत अच्छा।"
ऐसा कहकर अक्का अपने घर लौट गयी। फिर सन्ध्या के समय कुमार को अत्यधिक मदिरा पिलायी, जिससे भोगक्रीड़ा से शान्त होकर कुमार सो गया। मध्यरात्रि के समय उसको गाढ़ निद्रा में देखकर अक्का अत्यन्त प्रसन्न हुई। दासियों के द्वारा उसको उठवाकर