________________ अर्थात् श्रावकनां एक व्रतथी मांडी बार व्रत सुधीनां संयोगथी पदनी रचना थाय छे. गांगेय अणगारना विकल्प करतां श्रावक व्रतना विकल्पनी रचना विलक्षण छे. आना षटभंगी आदि भंगीओना जीडाणथी निपजे छे. ते भंगीओनुं स्वरूप अने तेना प्रस्तार पहेला प्रकरणमां आपवामां आव्या छे. व्रतोना संयोगथी निष्पन्न थता पदनुं स्वरूप बीजा प्रकरणमां विकल्प अने पदना योगथी जे भांगानी संख्या नीकळे छे तेनी सूचिका आपवामां आवी छे. आ सूचिकाना यंत्रनी रचना देवकुलने आकारे थवाथी तेनुं नाम देवकुलिका आपवामां आव्युं छे. षट्भंगी आदि पांच भंगीीन खंड अने अखंड एवी पांच देवकुलिका आ प्रकरणमां दर्शावेल छे. चोथा प्रकरणमा विकल्प अने पदना योगथी थता भांगाना प्रस्तारर्नु स्वरूप अने तेनुं तात्पर्य दविवामां आव्यु छे. . पांचमा प्रकरणमां 'विकल्प अने भांगाना नष्टनी रीत दर्शाया छे. पदना नष्टनी रीत गांगेय अणगारना पद नष्टनी माफक छे एटले आंहि जुदी दर्शावी नथी. छठा प्रकरणमा विकल्प अने भांगाना उद्दिष्टनी रीत बतावी छे. एकंदर छ प्रकरणमां आ ग्रंथ समाप्त थाय छे. श्रावक व्रतना भांगा समजवाने इच्छनार माणसमाटे आ ग्रंथ अंधारामां भटकता माणसने दीवानी माफक उपकारक थवानो संभव होवाथी आनुं नाम श्रावकव्रतभंगदीपिका राखवामां आव्यु छे.. त्यारपछी त्रोजो ग्रंथ अनुपूर्वीना भांगा संबंधी छे. तेमां पांच प्रकरण छे. पहेला प्रकरणमां भांगानी संख्या जाणवानी रीत, बीजा प्रकरणमां भांगाना प्रस्तार लखवानी रीत, त्रीजा प्रकरणमां नष्ट विधि, चोथा प्रकरणमां उद्दिष्ट विधि अने पांचमा प्रकरणमां भांगाना सर्व अंकोना सरवाळानो विधि दर्शावेल छे. भांगाना अंकोनुं तात्पर्य अने दरेकना विस्तृत उदाहरणो पण आपवामां आव्यों छे. त्यारपछी चोथो ग्रंथ पूर्वानुपूर्वी अथवा द्रव्यना संयोगथी थता भांगाना प्रस्तार संबंधी छे. तेमांत्रण प्रकरण पाडवामां