________________
दानशासनम्
एकादशोऽध्यायः । भावलक्षण विधानम्।
पृष्ठ लोक ५७८ राजाके समान पुण्यपरिकरोंको मिलाना चाहिए ३०५ ५७९ दुष्टोंके हृदय में जिनमुनि आदि के प्रति । दया भाव नहीं रहता
३०५ २ ५८० जीवोंके परिणामभेद
३०६ ३.५ ५८१ कोई ककडीके समान परिणामवाले होते हैं ३०६६ ५८२ कोई कचरियाके समान होते हैं
३०७ ७ ५८३ कोई जम्बूफल के समान होते हैं ३०७-३०८ ८-९ ५८४ कोई कवे के तुल्य होते हैं
३०८ १०-११ ५८५ कोई जलौक के तुल्य होते हैं
३०८ १२ ५८६ कोई कुत्ते के तुल्य होते हैं
३०९ १३-१४ ५८७ कुत्ते के समान कृतज्ञ बनना चाहिये ३०९ १५ ५८८ कुत्ते के समान नीच दोषोंको ही ग्रहण करते हैं ३१० १६ ५८९ कोई भेडियेके तुल्य होते हैं
३१० १७ ५९० कोई मत्स्यके समान हिताहित नहीं सोचते ३१० ५.१ आपसमें द्वेषभाव नहीं करें ५९२ कोई वेश्याके तुल्य होते हैं
३११ २० ५९३ कोई मांसलोभी मछली के तुल्य होते हैं ५९४ कोई कहार के समान होते हैं . ३११ २२ ५९५ कोई जमीन खोदनेवाले के तुल्य होते हैं ३११ ५९६ कोई बंदरके सदृश संसारमें चूमते हैं ३१२ २४ ५९७ कोई मयूर के समान मंदकषायी होते हैं ३१२ २५ ५९८ हिंसाको सुनकर हज्जन भाग जाते हैं ५१२ २६ ५९९ कोई कुत्ते के सदृश संज्जनोंसे ईर्ष्या करते हैं ३९२ २७
३११