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पात्रभेदाधिकारः
मतं समस्तै ऋषिभिर्यदाईतैः प्रभासुरं पावनदानशासनम् । मुदे सतां पुण्यधनं समर्जितुं धनानि दद्यान्मुनये विचार्य तत् ॥ १२१ ॥
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अर्थ- – समस्त आईत ऋषियोंके शासनके अनुसार यह दानशासन प्रतिपादित है । इसलिए पुण्यधनको कमानेकी इच्छा रखनेवाले श्रावक उत्तम पात्रोंको देखकर उनके संयमोपयोगी धनादिक द्रव्योंको विचार कर दान देवें ॥ १२१ ॥
इति पात्रचक्षणविधिः