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Acharya Shri Kalashsagarsuti Gyamandir ||जहन्नय॥५॥ एएसिं वनओ०॥६॥ मणुया दुविहभेया 3, ते मे कित्तयओ सुणो संमुच्छिमाइ मणुया, गब्भवक्कंतिया तहा॥७॥ गब्भवतिया जे 3, तिविहा ते वियाहिया। अकम्मकम्मभूमा य, अंतरद्दीवगा तहा॥८॥ पनरस तीसइविहा, भेआ अट्ठवीसई) संखा 3 कमसो तेसिं, इह एसा वियाहिया॥९॥ संमुच्छिमाण एसेव, भेओ होइ आहिओ। लोगस्स एगदेसंमि, ते सव्वेऽवि वियाहिया॥१५७०॥ संतई प५०॥१॥ पलिओवमाई तित्रि 3, उक्कोसेण वियाहिया। आउठिई मणुयाणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं॥२॥ पलिओवमाइं तित्रि 3, उक्कोसेण वियाहिया। पुव्वकोडिपुहुत्तेणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं॥३॥ कायठिई मणुयाणं, अंतरं तेसिमं भवे। अणंतकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहन्नय॥४॥ एएसिं वन्नओ०॥५॥ देवा चव्विहा वुत्ता, ते मे कित्तयओ सुणो भोमिज वाणमंतर, जोइस वेमाणिया तहा॥६॥ दसहा 3 भवणवासी, अट्ठहा वणचारिणो। पंचविहा जोइसिया, दुविहा वेमाणिया तहा॥७॥ असुरा नाग सुवण्णा, विजू अग्गी य आहिया। दीवोदही दिसा वाया थणिया भवणवासिणो॥८॥ पिसाय भूया जक्खा य, रक्खसा किन्नरा य किंपुरिसा। महोरगा य गंधव्वा, अट्ठविह। वाणमंतरा॥९॥ चंदा सूरा य नक्खत्ता, गहा तारागणा तहा। दिसाविचारिणो चेव, पंचही जोइसालया॥१५८०॥ वेमाणिया जे देवा, दुविहा ते पकित्तिया। कप्पोवा य बोद्धव्वा, कप्पाईया तहेव य॥१॥ कप्पोवगा बारसहा, सोहम्भीसाणा तहा। सणंकमारमाहिंदा, बंभलोगा य लंतगा॥२॥ महासक्का सहस्सारा, आणया पाणया तह आरणा अच्चुया चेव, इइ कप्पोवगा सुरा॥३॥ कल्याइया उजे देवा, दुविहा ते वियाहिया। गेविजगाणुत्तरा चेव, गेविज्जा ॥ श्रीउत्तराध्ययनसूत्रं ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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