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चरिदियआउठिई, अंतोमुहत्तं जहन्य॥४॥संखिन्जकालमुक्कोस, अंतोमुहुत्तं जहन्यो चारिदियकायठिई०॥५॥अणंतकालमुक्कोस.|| अंतोमुहुत्तं जहन्नयं०॥६॥ एएसिं वनओ०॥७॥ पंचिंदिया उजे जीवा, चव्विहा ते वियाहिया। नेरइया तिरिक्खा य, मणुया देवा य आहिया॥८॥ नेरइया सत्तविही, पुढवीसू सत्तसू भवे। रयणाम सक्कराभा, वालुयाभा य आहिया॥१॥ पंकामा धूमाभा, तमा तमतमा तहा। इइ नेरइया एए, सत्तहा परिकित्तिया॥१५३०॥ लोगस्स एगदेसंमि, ते सव्वे 3 वियाहिया। इत्तो कालविभागं तु, तेसिं वुच्छं चउविहं ॥१॥ संतई पप्प०॥२॥सागरोवममेगं तु, उक्कोसेण वियाहिया। पढमाइ जहन्नेणं, दसवाससहस्सिया॥३॥ तिनेव |य सागराऊ, उक्कोसेण वियाहिया।दुच्चाए जहन्नेणं, एगं तू सागरोवमी४॥ सत्तेव सागराऊं, उक्कोसेण वियाहिया। नईयाए जहनेणं, | तिनेव 3 सागरोवमा॥५॥ दससागरोवमाऊ, उक्कोसेण वियाहिया। चउत्थीइ जहन्नेणं, सत्तेव 3 सागरोवमा॥६॥ सत्तरससागराऊ, ||उक्कोसेण वियाहिया। पंचमाए जहन्नेणं, दस चेव उ सागरा॥७॥ बावीससागराऊ, उक्कोसेण वियाहिया। छट्ठीइ जहन्नेणं, सत्तरस सागरोवमा ८॥ तित्तीससागराऊ, उक्कोसेण वियाहिया। सत्तमाए जहनेणं, बावीसं सागरोवमा॥९॥ जा चेव उ आउठिई, नेरइयाणं| वियाहिया। सा तेसिं कायठिई, जहनुकोसिया भवे॥१५४०॥ अणंतकालमुक्कोसं०। रइयाणं तु अंतरं॥१॥ एएसिं वनओ चेव०॥२॥ पंचिंदियतिरिक्खा 3, दुविहा ते वियाहिया। संमुच्छिमतिरिक्खा 3, गब्भवतिया तहा॥३॥ दुविहावि ते भवे तिविहा, जलयरा थलयरा तहा। खहयरा य बोद्धव्वा, तेसिं भेए सुणेह मे॥४॥ मच्छ। य कच्छभा य, गाहा य मगरा तहा। सुसुमारा य ॥ श्रीउत्तराध्ययनसूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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