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चउरो चउदिसिंपि॥३११॥भा०तिसु तिण्णि तारगाउउदुमि पाभाइए अदिढेऽविवासासुअतारागा चउरो छन्ने निविट्ठोवि॥३१२॥भा० ठाणासति बिंदूसु गेण्हइ बिट्ठोवि पच्छिम् काली पडियरइ बाहिं एक्को एक्को अंतढिओ गिण्हे ॥२॥ पाओसियअड्ढरत्ते उत्तरदिसि पुव पेहए कालो वेरत्तियंमि भयणा पुष्वदिसा पच्छिमे काले॥३॥ सझायं काऊणं पढभबितियासु दोसु जागरण। अन्नं वावि गुणंती सुगंति झायति वाऽसुद्धे ॥४॥ जो चेव अ सयणविही गाणं वनिओ क्सहिदारे। सो चेव इहंपि भवे नाणत्तं नवनि सज्झाए॥५॥ एसा सामायारी कहिया भे! धीरपुरिसपनत्ता। एत्तो उवहिपमाणं वुच्छं सुद्धस्स जह धरणा॥६॥ उवही उवगहे संगहे |य तह पगहुग्गहे चेवो भंड। उवगरणे या करणेऽवि य हुंति एगट्ठा॥७॥ ओहे उवगहमि य दुविही उवही 3 होइ नायव्वो। एकेकोऽविय दुविहो गणणाए पमाणतो चेव॥८॥ पत्तं पत्ताबंधो पायट्ठवणं च पायकेसरिया। पडलाइं रयत्ताणं च गुच्छओ पायनिजोगो॥९॥ तिनेव य पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपत्ती। एसो दुवालसविहो उवही जिणकप्पियाणं तु॥६७०॥ एए चेव दुवालस मत्तग अइरेग चोलपट्टो यो एसो चउद्दसविहो उवही पुण थेरकप्पम्मि॥१॥ जिणा बारसरूवाई, थेरा चउद्दसरूविणो। अजाणं पन्नवीसंतु, अओ उड्ढं उगहो॥२॥ तिन्नेव य पच्छागा पडिग्गहो चेव होइ उक्कोसो। गुच्छग पत्तगठवणं मुहणंतग केसरि जहनो॥३॥पडलाइ रयत्ताणं पत्ताबंधो य चोलपट्टो योरयहरण मत्तओऽवि य थेराणं छव्विहो मझो॥४॥ पत्तं पत्ताबंधो पायट्ठवणं च पायकेसरिया। पडलाइ रयत्ताणं च गोच्चओ पायनिजोगो॥५॥ तिन्नेव य पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपत्ती। तत्तो य मत्तगो ॥श्री ओघनियुक्तिसूत्र॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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