________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobetirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
संखण्डहसदो या भिंगार छत्त चामर ध्यप्पडागा पसत्थाई॥९॥ समणं संजयं दंतं, सुमणं मोयगा दहि। मीणं घंटे पडागं च, सिद्धमत्थं विआगरे॥११०॥ तम्हा पडिलेहिअ दीवियंभि पुव्वगय असइ सारविए। फड्डयफड्डपवेसो कहणा न य उ8 इयरेसिं॥१॥ आयरियअणुट्ठाणे ओहावण बाहिरा यऽदक्खिण्णा। साहणय वंदणिज्जा अणालवंतेऽवि आलावो॥२॥ वुड्ढा निरोक्यारा अगहणमलोगजत्त वोच्छेओ। तम्हा खलु आलवणं सयमेव 3 तत्थ धम्मकहा॥३॥ वसहिफलं धमकहा कहणअलद्धी 3 सीस वावा।पच्छ। अइंति वसहिं तत्थ य भुजो इमा जयणा॥४॥पडिलेहण संथारगआयरिए तिण्णि सेस 3 कमेणा विंटिअउक्खेवणया पविसइ ताहे य धम्मकही ॥५॥ उच्चारे पासवणे लाउय निल्लेवणे य अच्छणए। पुव्वट्ठिय तेसि कहेऽकहिए आयरणवोच्छेओ॥६॥ भत्तद्विआ व खवगा अमंगलं चोयए जिणाहरणी जइ खभगा वंदंता दायंतियरे विहिं वोच्छं ॥७॥ सव्वे दतुं उग्गाहिएण ओयरिअ भयं समुपज्जे। तम्हा ति दु एगो वा उग्गाहिअ चेइए वंदे॥८॥सद्धाभंगोऽणुग्गाहियंमि ठवणाइया य दोसा 31 गरचेइअ आयरिए कइवयगमणं च गहणं च॥९॥ खेत्तंमि अपुव्वंभी तिहाणट्ठा कहिंति दाणाई। असई य चेइयाणं हिंडता चेव दायंति॥१२०॥ दाणे अभिगमसद्ध सम्मत्ते खलु तहेव मिच्छत्ते। मामाए अचियत्ते कुलाई दायंति गीयत्था॥१॥ क्यउस्सग्गामंतण पुच्छणया अकहिएगयरदोसा। ठवणकुलाण य ठवणा पविसइ गीयत्थसंघाडो॥२॥ गच्छंमि एस कप्पो वासावासे तहेव उडुबुद्धे। गामागरनिगमेसुं अइसेसी ठावए सड्ढी॥३॥ भा०। किं कारणं चमढणा दव्वखओ उग्गमोऽविय न सुझे। गच्छंमि निययकज्जे श्री ओघनियुक्तिसूत्र।
| २५ ।
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only